INDICATORS ON पारद शिवलिंग के लाभ YOU SHOULD KNOW

Indicators on पारद शिवलिंग के लाभ You Should Know

Indicators on पारद शिवलिंग के लाभ You Should Know

Blog Article

पठन सेटिंग्स खाता बनाएँ लॉग-इन करें व्यक्तिगत उपकरण खाता बनाएँ

पारद शिवलिंग का महत्व है की समस्त पापो का नाश करने वाला तथा रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाला शिवलिंग है

- विशेष उद्देश्यों तथा कामनाओं की प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाती है. किस प्रकार करें नर्मदेश्वर की आराधना ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पारद शिवलिंग को बहुत शुभ माना गया है। पारद शिवलिंग शुद्ध पारा धातु से बना होता है। इसकी स्थापना से दरिद्रता दूर हो जाती है और माता लक्ष्मी का घर में वास होता है। पारद शिवलिंग को स्थापित करने से आरोग्य, धन-धान्य, सुख और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग को भगवान् शिव, माँ लक्ष्मी और कुबेर देव का प्रतीक माना जाता है। आंतरिक और आध्यत्मिक शक्ति पाने के लिए भी पारद शिवलिंग की स्थापना की जाती है।

नंदुरबारमधील नवापूर शहर बुडाले पाण्यात

पुराणों में बताया गया है कि इस शिवलिंग में संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान होता है।

महागौरी- श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।।

पारद के शिवलिंग यानी पारदेश्वर महादेव जी की पूजा की इतनी महान महिमा पुराणों और उपनिषदों में बताई गयी है

इसका पूजन करने से संसार के समस्त द्वेषों से मुक्ति मिल जाती है। कई जन्मों के पापों का उद्धार हो जाता है। इसके दर्शन मात्र से समस्त परेशानियों का अंत हो जाता है। ऐसे शिवलिंग को समस्त शिवलिंगों में सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है और इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां read more स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।



नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करने की विधि:

इन शिवलिंगों को रोजाना गंगाजल या साफ पानी से स्नान कराएं। इसके बाद, इन्हें सूखे, साफ कपड़े से पोंछ दें। आप चाहें तो इन्हें रुई में लपेटकर रख सकते हैं। धूप जलाने और दीप जलाने के दौरान इन शिवलिंगों को सीधे गर्मी से बचाएं। थोड़ी सी सावधानी और नियमित पूजा से आप इन शिवलिंगों के दिव्य प्रभाव को प्राप्त कर सकते हैं।

नर्मदेश्वर शिवलिंग को सबसे ज्यादा सर्वाधिक शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है.

खरंच निसर्गाची किमया भारी….मराठवाड्यातील एकमेव बेट… जांभूळ बेट गोदावरी नदी…

Report this page